THE MEENA
THE GREAT WARRIOR OF HISTORY
RAJASTHAN MINA/मीणा मुख्यतया भारत के राजस्थान राज्य में निवास करने वाली एक जाति] है। MINA मीणा जाति भारतवर्ष की प्राचीनतम जातियों में से मानी जाती है । वेद पुराणों के अनुसार MINA/ मीणा जाति मत्स्य(मीन) भगवान की वंशज है। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को MINA/मीणा समाज जहां एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर कात्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। मीणा जाति का गणचिह्न मीन (मछली) था। मछली को संस्कृत में मत्स्य कहा जाता है। प्राचीनकाल में मीणा जाति के राजाओं के हाथ में वज्र तथा ध्वजाओं में मत्स्य का चिह्न अंकित होता था, इसी कारण से प्राचीनकाल में मीणा जाति को मत्स्य माना गया। प्राचीन ग्रंथों में मत्स्य जनपद का स्पष्ट उल्लेख है जिसकी राजधानी विराट नगर थी,जो अब जयपुर वैराठ है। इस मस्त्य जनपद में अलवर,भरतपुर एवं जयपुर के आस-पास का क्षेत्र शामिल था। आज भी मीणा लोग इसी क्षेत्र में अधिक संख्या में रहते हैं। मीणा जाति के भाटों(जागा) के अनुसार मीणा जाति में 12 पाल,32 तड़ एवं 5248 गौत्र हैं।मध्य प्रदेश के भी लगभग २३ जिलो मे मीणा समाज निबास करता हैयह भगवान मीन, शिव और अन्य हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं. यह हिंदी, मेवाड़ी, धुंधरी, गढ़वाली, मारवाड़ी, मालवी, भीली भाषा, आदि बोलते हैं. आइए जानते हैं मीणा जाति का इतिहास, मीणा शब्द की उत्पति कैसे हुई?
RAJASTHAN ,MINA ,The Meena community, often referred to as “Mina” in some regions, is indeed a significant social group in India. They are primarily found in the states of Rajasthan, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, Gujarat, and Maharashtra. The Meena community has a rich cultural heritage, and their traditions and practices have been passed down through generations.
Historically, the Meena community has been associated with various occupations, including agriculture, animal husbandry, and crafts such as pottery and weaving. They have also played a role in the history and culture of the regions where they reside.